जानिए निर्जला एकादशी का महत्व और कथा

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एकादशी माता उस समय प्रकट होती है जब भगवन कृष्ण मुर राक्षश का वध करने जाते है. श्री कृष्ण एक गुफा में चले जाते है और ध्यान मुग्द हो जाते है जब मुर उन्हें उठाने की कोशिश करता है तो तभी श्री कृष्ण के अंदर से एकादशी माता प्रकट होकर मुर का अंत कर देती है.

तब श्री कृष्ण उन्हें वरदान स्वरुप कहते है जो भी पापी एकादशी के दिन उपवास करेगा और अन्न ग्रहण नहीं करेगा वो सभी प्रकार के पापो से मुक्त हो जायेगा. अब ऐसा देख नर्क भगवान के पास आया और उसने कहा की प्रभु इस व्रत को करने से तो बड़े से बड़े पापी स्वर्ग जा रहे है मैं नर्क भी तो आप ही से उतपन हुआ हूँ मेरे पास कोई पापी नहीं आ रहा.

भगवान नर्क को कहते है तुम अन्न में विराजमान हो जाओ और एकादशी के दिन जो कोई भी अन्न खायेगा वो नर्क प्राप्त करेगा. उसी दिन से एकादशी की महत्वता ओर बढ़ गई.

निर्जला एकादशी का महत्व और कथा

यह एकादशी साल में एकबर आती है और इस एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है. इसका वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में है. यह सबसे बड़ी एकादशी मानी जाती है. पांडवो में भीम जो सबसे बल शाली थे वह भोजन को अधिक महत्व देते थे और भूके नहीं रह सकते थे.

भीम व्यास देव जी से कहते है, हे! पितामह मुझे कोई ऐसा उपाए बताये की मैं बिना उपवास करे स्वर्ग और वैकुण्ठ को प्राप्त करूं. तो व्यास जी कहते है भीम तुम्हे हर महीने की २ एकादशी का व्रत करना ही होगा तभी तुम परमगति प्राप्त कर पाओगे.

भीम अपना सयम खोते हुए कहते है कि हे ऋषि श्रेष्ठ- भगवान विष्णु से जन्मे ब्रह्मा, और ब्रह्मा जी से उतपन हुए अंगिरस, अंगिरस से बृहस्पति और ब्रहस्पति से उतपन हुए सम्युक और सम्युक ही अग्नि देव के पिता है और वही वृक अग्नि मेरे पेट में हर समय जलती रहती है जो मुझे भूखा नहीं रहने देती है. तो इसलिए मुझे कुछ ऐसा उपाए बताये कि मैं भी स्वर्ग प्राप्ति करू और पाप मुक्त भी हो पाऊ.

फिर व्यास देव जी भीम को निर्जला एकादशी के बारे में बताते हुए कहते है कि अगर इस एकादशी बिना खाये और बिना जल ग्रहण करे उपवास करे तो वह साल कि सभी एकादशी का पुण्य पायेगा और सभी प्रकार के पापो से मुक्त हो जायेगा. तो तभी से निर्जला एकादशी का महत्त्व हुआ. और सभी पांडवो ने इसे श्रद्धा भाव से करना आरम्भ किया.

इस दिन हमे बिना खाये पिए भगवान को श्री विष्णु या कृष्ण रूप में पूजना चाहिए और अपने व्रत को पूरा करना चाहिए.

कहा जाता है कि एकादशी व्रत करने वालो का खराब ग्रह तक कुछ नहीं बिगाड़ पाते और उन पर श्री कृष्ण की विशेष कृपा होती है.

एकादशी के दिन इन मंत्रो का उच्चारण करें.

ॐ नमः भगवते वासुदेवाय

या उच्चारण करें

हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे।।

भगवदगीता हिंदी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

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