जय श्री राधे
कहा जाता है कि भगवान से कुछ भी सच्चे मन से मांगो, भगवान उसकी इच्छा को पूरा करते है, लेकिन जब मनुष्य भगवान से उनकी भक्ति मांगता है तो उस समय भगवान थोड़ा सोच कर, विचार कर कोई निर्णय लेते है।
उनकी भक्ति सहज मिल जाए, उसके लिए स्वयं श्री भगवान ने एक सरल सा रास्ता छोड़ा हुआ है, और वो रास्ता है “एकादशी व्रत” का।
एकादशी का व्रत करने से श्री भगवान अपनी भक्ति सहज ही प्रदान करते है।
इसमें कुछ विद्वान पंडितों का मानना है कि एकादशी का व्रत हर कोई नहीं रख सकता, श्री हरि कृपा के बिना ये हो नहीं पाता।
यदि हम एकादशी का व्रत कर पाएं, बिना किसी बाधा के, समझ लेना स्वयं श्री हरि ने आप पर विशेष कृपा करी, जिससे हम उनकी भक्ति प्राप्त कर सकें।
दोस्तो ! इसमें मेरा एक भाव जोड़ना चाहूंगी, कि जब हम श्री हरि की तरफ एक कदम बढ़ते है तो, वो हमारी तरफ 10 कदम बढ़ाते है, शायद हमसे ज्यादा व्याकुल हमारे प्रियतम श्री भगवान होते है हमे अपनी अनन्य भक्ति प्रदान करने।
मोक्षदा एकादशी
शुक्ल पक्ष की एकादशी दत्त जयंती तथा मोक्षदा एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है. मोक्षदा एकादशी एक हिंदू पवित्र दिन है, जो मार्गशीर्ष (अग्रायण) के हिंदू महीने में नवंबर-दिसंबर तक, वैक्सिंग चंद्रमा (waxing moon) के 11 वें चंद्र दिवस (एकादशी) पर पड़ता है।
इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध प्रारम्भ होने के पूर्व मोहित और भ्रमित हुए अर्जुन को श्रीमद्भागवतगीता का उपदेश दिया था| इस दिन श्रीकृष्ण व गीता का पूजन करना चाहिए, फिर आरती करके उसका पाठ करना चाहिए गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कर्मयोग पर विशेष बल दिया है ब्राह्मण भोजन कराकर दान आदि देने से विशेष फल प्राप्त होता है|
मोक्षदा एकादशी पर सूर्योदय से अगले दिन सुबह तक का पूरा व्रत मनाया जाता है। जो लोग उस अवधि के लिए उपवास नहीं कर सकते हैं वे आंशिक उपवास का पालन करते हैं। केवल शाकाहारी भोजन, विशेष रूप से फलों, सब्जियों, दूध उत्पादों और नट्स का सेवन किया जाता है। इस दिन चावल, बीन्स, दालें, लहसुन और प्याज खाना प्रतिबंधित है।
अधिकांश एकादशियों की तरह, भगवान विष्णु की पूजा और प्रार्थना और 24 घंटे का उपवास शामिल हैं। भक्त मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त करते हैं। जैसा कि नाम से ही संकेत मिलता है, मोक्षदा एकादशी भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित एक अत्यंत शुभ दिन है – श्री हरि अपने सभी पापों से छुटकारा पाने के लिए और मृत्यु के बाद मोक्ष या मुक्ति प्राप्त करने के लिए। एकादशी उसी दिन गीता जयंती के रूप में मनाई जाती है, जिस दिन कृष्ण ने पांडव राजकुमार अर्जुन को भगवद गीता का पवित्र उपदेश दिया था, जैसा कि हिंदू महाकाव्य महाभारत में वर्णित है। 700-श्लोक भगवद गीता ने पांडवों और उनके चचेरे भाइयों के बीच कुरुक्षेत्र में कौरवों के बीच युद्ध की शुरुआत में बताया था, जो विभिन्न हिंदू दार्शनिक विचारों से संबंधित है।
मोक्षदा एकादशी की कथा
प्राचीन काल में गोकुल नगर में वैखानस नाम का राजा धर्मात्मा और भक्त था उसने रात्रि को स्वप्न में अपने पूज्य पिता को नरक भोगते हुए देखा | प्रातः कल ज्योतिषी वेदपाठी ब्राह्मणों से पूछने लगा कि मेरे पिता का उद्धार कैसे होगा | ब्राह्मण बोले यहाँ समीप ही पर्वत ऋषि का आश्रम है उनकी शरणागत से आपके पिता शीघ्र ही स्वर्ग को चले जायेंगे |
राजा पर्वत ऋषि की शरण में गए और दंडवत प्रणाम करके कहने लगे मुझे रात में एक स्वप्न आया था और उसमे मुझे पिताजी के दर्शन हुए, बेचारे यमदूतों के हाथों से दण्ड पा रहे है , बहुत ज्यादा कष्ट में है, अतः आप अपने योग बल से बताइये कि उनकी मुक्ति किस साधन से बहुत जल्दी और आसानी से होगी |
ऋषि ने विचार करके राजा को बताया कि धर्म कर्म कितना भी करो सब देरी से फल देने वाले है शीघ्र वरदान देने के लिए महादेव जी प्रसिद्धः है बहुत | परन्तु प्रसन्न करना कोई आसान काम नहीं है देर बहुत लग जायेगी और तेरे पिता जी की तब तक काफी हालत बिगड़ जाएगी कष्ट सहते सहते | इसीलिए जो सबसे सुगम और शीघ्र फ़ल देने वाला व्रत मोक्षदा एकादशी क बारे में मैं बताता हूँ, उसे विधि विधान सहित संयुक्त परिवार सहित करके पिता को समर्पित कर दो. इसके करने से निश्चय ही उन्हें मुक्ति मिल जायेगी |
राजा ने मोक्षदा एकादशी का व्रत करके उसका फल पिता को अर्पण कर दिया इसके प्रभाव से वह स्वर्ग को चले गए और जाते हुए पुत्रों से बोले मैं परमधाम जा रहा हूँ. मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का जो व्रत करते है, उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. इस वर्त से बढ़कर मोक्ष देने वाला और कोई व्रत नहीं है.
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे