अध्याय- 1 “अर्जुन विषाद” (श्रीमद भगवद गीता सार: जीवन का आधार)

दोस्तों के साथ शेयर करें:

भूमिका

गीता जीवन का आधार (Manual of Life)| हमारा प्रयास है कि मैं आपको श्रीमद्भगवत गीता को बहुत ही आसान शब्दों में समझा सकूं। मैं बहुत ही सरल तरीके से आपको गीता के सभी 18 अध्यायों को समझाने की कोशिश करूंगा। मैं कोई ज्ञानी पंडित नहीं हूँ लेकिन हम बहुत सारी समस्याओं से गुजरते हैं जो कि अर्जुन के जैसी समस्याओं की जैसी प्रतीत होती हैं। तो हम पाते हैं कि उस समय हमारी सहायता के लिए भगवान हमसे दूर नहीं।

प्रथम भाग का नाम है अर्जुन विषाद योग

गीता पाँच हजार वर्ष पहले श्रीकृष्ण भगवान ने अर्जुन को कही थी। यह बात महाभारत के समय की है जब अर्जुन युद्ध प्रारंभ होने से पहले डर जाते हैं या यूं कहें कि वह अपनों से युद्ध करने में भयभीत होते हैं तो इस विषय में अर्जुन को श्रीकृष्ण गीता ज्ञान देते हैं, जो कि हमारे जीवन पर उतना ही लागू होता है।

दोस्तों अगर आप अर्जुन विषाद को समझेंगे तो यह आपको अपने ही जीवन के विषाद से मिलता जुलता लगेगा जो अर्जुन की समस्या थी। ठीक उसी प्रकार हमारी भी समस्याएं हैं जीवन में। तो इस दुविधा को दूर करने के लिए या यूं कहें परेशानी से लड़ने के लिए श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता ज्ञान द्वारा समझाते हैं “संपूर्ण जीवन का महत्व और परब्रह्म की प्राप्ति अर्थात फाइनल डेस्टिनेशन”।

अगर मुझसे कोई भी गलती हो जाए तो मैं भगवान से क्षमा मांगता हूँ। यह ज्ञान भगवान का दिया है, मेरी बस एक कोशिश है इसको अपने मित्रों तक पहुंचाने की।

जैसा कि हम जानते हैं कि प्रथम भाग में अर्जुन विषाद है, जिसमें कि वह युद्ध भूमि पर खड़े हैं और सामने समस्त कौरव सेना को देख रहे हैं और पाते हैं कि यह सब तो मेरे अपने हैं, मैं कैसे युद्ध कर सकता हूँ? तो वह धर्म संकट में पड़ जाते हैं और वह युद्ध नहीं करना चाहते क्योंकि वह उनके अपने ही हैं, लेकिन कई बार समस्या की घड़ी में ऐसा होता है कि हमें धर्म के लिए लड़ना पड़ता है। ऐसे ही हमें अपनी जिंदगी में भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जब हम परेशानी को देखते हैं तो वह हमें बहुत बड़ी लगती है कई बार ऐसा भी होता है कि हम परेशानी के चक्रव्यूह में फंस तो जाते हैं लेकिन उसमें से निकलना मुश्किल हो जाता है, तो इस परेशानी से निकलने के लिए हम श्रीमद्भगवत गीता के ज्ञान को समझेंगे जिससे हम स्वयं अपनी परेशानियों से लड़ पाएंगे और भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ पाएंगे।

आपने अंग्रेजी में शब्द सुना होगा रिस्क एसेसमेंट” जिसका हिंदी अनुवाद है समस्या का आकलन। हमें किसी भी समस्या में या किसी चुनौती में कभी भी अपना आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए और हमें उस समस्या से लड़ने के लिए अपनी पूर्ण तैयारी करनी चाहिए। आसान शब्दों में कहूँ तो ऐसा वार क्राय” अर्थात दहाड़ होनी चाहिए कि आपकी समस्या भी घबरा जाए।

भगवान श्रीकृष्ण का एक नाम अच्युत” भी है जिसका अर्थ होता है अटल। तो हमें भी अपने जीवन में अटल होने की जरूरत है क्योंकि अगर हम अटल होकर आगे बढ़ेंगे तो हम कभी भी अपनी चुनौतियों से और कठिनाइयों से नहीं डरेंगे। दोस्तों महाभारत के युद्ध में कौरवों और पांडवों को मौका मिलता है कि वह श्रीकृष्ण और उनकी नारायणी सेना में से किसी एक को चुन सकते हैं, लेकिन कौरव चुनते हैं समस्त नारायणी सेना को और अर्जुन चुनते हैं श्रीकृष्ण को, उसी प्रकार जब हम शंका में होते हैं तो हमारी सहायता के लिए श्रीकृष्ण दूर नहीं।

इस पूरे अध्याय में अर्जुन विषाद है जिससे श्रीकृष्ण अगले अध्याय में बताएंगे कि हमें अपने जीवन की परेशानियों से कैसे लड़ना है और कैसे आगे बढ़ना है, संक्ष्पित में कहूँ तो हमारी फाइनल डेस्टिनेशन क्या है।

इस अध्याय में समस्याओं का वर्णन है। अगले अध्याय ज्ञान युग में भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि हमें कैसे धर्म युद्ध करना चाहिए और अपनी समस्याओं के चक्रव्यूह से बाहर आना है तो आप अगले अध्याय को पढ़ने के लिए वेबसाइट को सब्सक्राइब करें ताकि जब हम अगला अध्याय पोस्ट करें तो वह आप तक पहुंच जाए।

राधे राधे
जय श्री कृष्ण

(सहायक) Contributor

श्री आशुतोष बंसल

श्री अमित राजपूत

अगला अध्याय यहाँ पढ़े- अध्याय- 2 “सांख्य योग”

दोस्तों के साथ शेयर करें:
To Keep ShubhMandir live please donate us:

2 thoughts on “अध्याय- 1 “अर्जुन विषाद” (श्रीमद भगवद गीता सार: जीवन का आधार)

  1. Pingback: अध्याय- 2 "सांख्य योग" (श्रीमद भगवद गीता सार: जीवन का आधार) – शुभ मंदिर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *